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कुण्डलियाँ

kavita
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बिटिया रानी पीठ पर लाद पुस्तकें बीस |
ऊपर से गिनकर रखी पुनः कापियां तीस |
पुनः कापियां तीस ज्ञान का भरा खजाना
प्रकाशकों का कितना सुन्दर ताना -बाना |
कह गुंजन कवि खायं कमीशन की वे टिकिया
खाए कोई और झेलती नन्ही बिटिया ||

घास ही आगे गढ़ना
पढ़ना लिखना छोड़ कर नक़ल करे जो छात्र
वही आज इस दौर का सबसे बड़ा सुपात्र |
सबसे सफल सुपात्र अभी ले रहा प्रशिक्षण
यही नक़ल इनके जीवन का करता रक्षण
कह गुंजन कविराय घास ही आगे गढ़ना
तो क्यों व्यर्थ समय देकर तन -मन से पढ़ना |

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