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“उठो केजरीवाल देश को दो अब नया विकल्प ”

kavita
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kejriwal_arvind_iac_ap लिखो नयी पट-कथा देश की
रचो नया इतिहास,
गाँव-गाँव में नगर-नगर में
फैले नया उजास |
रिद्धि-सिद्धि – समृद्धि देश से
है अब कोसों दूर ,
अमन-चैन को निगल गए हैं
मिलकर सारे क्रूर |
मिटे भूख-भय – संशय मन से
मिट जाए संत्रास !
लिखो नई……!!
महंगाई राक्षसी फाड़ मुह
रही यहाँ विकराल ,
उधर धुरंधर महारथी सब
बजा रहे हैं गाल,
सोने की चीड़ी को सबमिल
बना रहे निज ग्रास !
लिखो नयी…..!!
घमासान है मचा चतुर्दिक
केवल लूट-खसोंट,
भूखे जन बिलबिला रहे हैं
वे खाएं अखरोट |
असली मालिक जनता देखो
बन बैठी है दास !
लिखो नयी…..!!
बढ़ो केजरीवाल देश को
दो अब नया विकल्प ,
नहीं और अब मिटने देंगे
लेना है संकल्प |
उठो-उठो बाँटो जन-मन में
नव जीवन उल्लास !
लिखो नई …….!!
घर-घर में बेबसी और बस
फैली है लाचारी ,
मस्ती काट रहे नेता-गण-
बड़े-बड़े व्यापारी |
जो जितने ऊँचे बैठे हैं
उतनी ऊँची प्यास !
लिखो नई …..!!
आचार्य विजय ‘गुंजन ‘

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