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श्रृंगार का मौसम

kavita
kavita
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______~1
आ गया श्रृंगार का मौसम !

फिर धरा सजने लगी ऐसे
अनकही कुछ बात हो जैसे

आ गया फिर प्यार का मौसम !

फिर खिले टटके सुनहले रंग,
हो गए सुरभित अवनि के अंग |

आ गया गुंजार का मौसम !

सिलवटों में यों पड़े कुछ बल ,
ह्रृदय में होने लगी हलचल !

अकथ के इज़हार का मौसम !

वीथिका में उठी आज उमंग ,
कौन है जिसके न संग अनंग |

आ गया उपहार का मौसम !

सुगढ़ सी लगने लगी छाया,
मधुमास ने कुछ गीत यों गया |

आ गया मनुहार का मौसम !

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