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अन्ना जी के दोनों चेले
अन्ना जी के दोनों चेले,
आपस में कर रहे झमेले
राजनीति है गहरा दलदल,
इसमें केवल है कल-बल-छल
जिसमें खम है वही धकेले,
अन्ना जी के दोनों चेले|
दिल्ली दिल अब किसको देगी
बदले में किससे क्या लेगी,
प्रीत-प्रेम के पावन मेले,
अन्ना जी के दोनों चेले
आपस में कर रहे झमेले|
इधर केजरी उधर किरण है,
सकते में पड़ गयी हिरण है
दिल्ली अब किस-किस को झेले,
अन्ना जी के दोनों चेले
आपस में कर रहे झमेले|
हैं उदास रालेगण वाले,
सभी आ गए जड़कर ताले
गुरु जी अब पड़ गए अकेले
अन्ना जी के………..|
सबके अपने-अपने दावे
अपना मुँह अपने गुण गावे
अजब गजब हैं ये अलबेले,
अन्ना जी के……….|
खाली दिल्ली की कुर्सी है
दीदी फिर से आ हुलसी है,
जन -गण -मन में प्रीत उड़ेले
अन्ना जी के………|
एक फूल है एक खार है,
इधर प्यार है उधर मार है
जिसको जी चाहे जो लेले,
अन्ना जी के दोनों चेले ,
आपस में कर रहे झमेले |
आचार्य विजय गुंजन
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